इब्नेबतूती | हिंदी उपन्यास | दिव्य प्रकाश दुबे

आपने कभी सोचा है कि ये जो आपकी माँ है। ये कभी एक बीस साल की लड़की थी। मुझे नहीं मालूम ये उड़ता हुआ खयाल मेरे मन में कैसे आया।

लेकिन जब आया तो मैंने सोचा कि अपनी अम्मा से पूछूँ कि यार अम्मा तुम कभी बीस साल की लड़की भी थी क्या ?

क्या तुम कभी अपने सहेलियों के साथ घर से बिना बताए कोई फिल्म देखने जाती थी. ?

क्या तुमने कभी क्लास बँक किया था

क्या तुम्हें शादी से पहले कोई पहला प्यार हुआ था।

ऐसे न जाने कितने सवाल थे, जिनके जवाब मुझे मिले नहीं।

माँ किसी की भी हो वो सब कुछ बताती कहाँ हैं।

मेरी अगली किताब इब्नेबातूती इनही सब सवालों के जवाब ढूंढने की एक मासूम कोशिश है।

और हाँ मैं एक बता बता दूँ, इब्नेबतूती- इस शब्द का कोई मतलब नहीं होता। इसलिए आप इसको अपनी मर्ज़ी और ज़रूरत के हिसाब से कोई भी मतलब दे सकते हैं।


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